आयुर्वेद में मकोय (सोलनम निग्रम) को संभावित चिकित्सीय गुणों वाली एक औषधीय जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। इसे आमतौर पर आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ "काकामाची" या "मकोय" के रूप में जाना जाता है।
आयुर्वेद ग्रंथ और एपीआई के अनुसार, मकोय जड़ी बूटी को उसके स्वाद (रस), पाचन के बाद के प्रभाव (विपाक), और ऊर्जा या शक्ति (वीर्य) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार मकोय के गुण इस प्रकार हैं:
- रस (स्वाद): तिक्त (कड़वा), कषाय (कसैला)
- गुण (गुणवत्ता): लघु (हल्का), रूक्ष (सूखा), तीक्ष्ण (तीव्र)
- वीर्य (शक्ति): उष्ण (गर्म)
- विपाक (पाचनोत्तर प्रभाव): कटु (तीखा)
दोषिक प्रभाव: आयुर्वेद के अनुसार, मकोय कफ और पित्त दोषों को संतुलित करने में मदद करता है।
आयुर्वेदिक क्रियाएं:
- विषघ्न: विषहरण या विष-विरोधी
- कसाहारा: खांसी कम करता है
- व्रणरोपण: घाव भरना
- त्रिदोषहर: तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करता है
रासायनिक घटक:
सोलनम निग्रम की रासायनिक संरचना व्यापक है, और पौधे के विभिन्न भागों में अलग-अलग यौगिक होते हैं। सोलनम निग्रम में पहचाने जाने वाले कुछ घटकों में एल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड, ग्लाइकोसाइड, सैपोनिन और टैनिन शामिल हैं।